ओ झील तुम वह नहीं रहीं
जो थीं मेरी आँखों में कभी
मैं तुम्हारे किनारों पर
न जाने किसका इंतजार करता था
शायद मैं भी बदल गया हूँ
मेरे रिश्ते तुमसे टूट गए
मैं क्या था तुम्हारे सामने
प्रेम करने वाला वक्त था तुम्हारे सामने
आज तुम्हारी लहरों को
ग्रसता हुआ एक धुआँ